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उल्फत

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घड़ी भर तन्हाई में बैठते ही, दफ्फतन तेरी याद का आ जाना चाय की हर चुस्की के साथ मेरा, क़तरा क़तरा तुझे पी जाना,  मेरी तवज्जो को शौक से कर तगाफुल, ए बेपरवाह  मेरी बेशुमार उल्फत को पसंद है तेरा बेहिसाब आजमाना।

चाहत

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चाहत तो ये कि तुझे देखा जाए जी भरने तक। फिर मसला ये भी है कि ये जी भरेगा कब।

परस्तिश

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सीने से आ लगे जो एक मुद्दत के बाद वो,  परस्तिश में लग गईं धड़कनें   धड़कना छोड़ कर । ...

Micro Dribble

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... And then, she had to relearn what he had made her unlearn quite a while ago...  Parastish

वो तस्वीर

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तस्वीर गैर के साथ दिखा कर क्या करना चाहते हैं ? जो ख़ुद नहीं कह सकते वो हमसे कहलवाना चाहते हैं ? उनके शानों पर आपके हाथ हमें नागवार गुजरते हैं । यह जान कर भी   अनजान बनना चाहते हैं ? हमारी उल्फत के धागों को तोड़ना जो है, तो सुनें, इश्क़ का उसूल है, मेरे हबीब ये फिर से जोड़े नहीं जाते हैं । इश्क़ के सफ़र में वापिसी अकेले अकेले होती है, कयामत तक फिर महबूब पुराने  वापिस बुलाए नहीं जाते हैं । हम सा कोई मिले आपको ये तो नामुमकिन है पर किसी एक के लिए प्यारे यार भी तो भुलाए नहीं जाते हैं। कि फिर टकराएंगे एक दूसरे से हम दोनो... इसकी उम्मीद तो ज़रा कम है पर फिलहाल, चलिए, आप अपने, और हम अपने रास्ते निकलते हैं ।

Women's Day

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  Another Women’s Day is another decorous occasion To pen down lines… About the women enjoying empowerment (?) Yes! To pen down lines about women enjoying Financial Empowerment in the patriarchal society. And to lend a deaf ear to the shrieks of the housemaid, Being slapped by her drunken husband until she allows him to unknot her pallu edge and rush to the liquor shop at the end of the street, with a fifty rupee note in his hand. To pen down lines… About the women enjoying Self-Worth in the patriarchal society. And to shut eyes on the body-shaming that a young girl undergoes At the hands of family, friends, and society alike. To pen down lines… About the women enjoying The Best Career Opportunities in the patriarchal society. And to silence the shameful stories of harassment and exclusion Of small town girls, pregnant women, and nursing mothers, Who are trying in vain to break the glass ceiling, at their modern offices which claim to be fair and congen

इंतज़ार

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तुम्हारा इंतज़ार करना मुझे अच्छा लगता है वो चंद घंटे बहुत ख़ास होते हैं। उसमें तुम होते हो, और मैं होती हूं।  वो सजे होते हैं तुम्हारी खुशबू से, वो भरे होते हैं तुम्हारी हंसी की खनक से, और वो तमाम लम्हे, वो तमाम एहसास जो सिर्फ़ हम दोनों के हैं, मुझे छू जाते हैं, इन्हीं चंद घंटों में। और जानते हो सबसे खूबसूरत बात? उन चंद घंटों में होती है एक उम्मीद तुम्हारे आ जाने की,  जिसके थक कर छिटक जाने से एकदम पिछले पल में तुम आ जाते हो मेरे सामने।  मेरा इंतज़ार जब कभी तुमको करना पड़ता है तुम ढूंढते हो कुछ ऐसा जो एहसास ही न होने दे इंतज़ार का। वक्त कट जाए जल्दी से और बस तुम फारिग़ हो जाओ इस  फर्ज़ से। और मेरे आ जाने से कई पल पहले ही  तुम इंतज़ार को अलविदा कर के निकल जाते हो किसी और रास्ते पर। और कहते हो इंतज़ार नागवार गुजरता है। इंतज़ार की मिठास तो सिर्फ़ वही जानते हैं जो इसको चखते हैं, कतरा कतरा, मन के पूरा भर जाने तक...